Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा और सोने की झाडू; जानें इसके पीछे का महत्व और परंपरा का पालन

Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू होकर 8 जुलाई तक चलेगी. हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra…

Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू होकर 8 जुलाई तक चलेगी. हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) का खास धार्मिक महत्व है. हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि के दिन ओडिशा के पुरी में यह भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है.12 दिनों तक चलने वाली इस भव्य यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विशाल रथों पर सवार होकर मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक की यात्रा करते हैं.

इस पावन मौके पर लाखों श्रद्धालु पुरी आते हैं और रथों को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं. मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने और रथ को खींचने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.

पौराणिक मान्यता के अनुसार, सोना एक पवित्र धातु है, जिसे देवी-देवताओं की पूजा में विशेष स्थान प्राप्त है. यात्रा शुरू होने से पहले तीनों रथ के रास्ते को सोने की झाड़ू से साफ किया जाता है और साथ ही वैदिक मंत्रों का उच्चारण होता है. यह न सिर्फ आध्यात्मिक पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह एक भाव भी दर्शाता है कि भगवान के स्वागत में कुछ भी कम नहीं रहनी चाहिए.

यह परंपरा सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाती है. यह झाड़ू केवल राजाओं के वंशजों के हाथों ही चलती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोने के झाड़ू से रास्ता साफ करने का उद्देश्य भगवान के मार्ग को शुद्ध और पवित्र बनाना होता है.

क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा? Jagannath Rath Yatra 2025
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी सुभद्रा ने पुरी नगर देखने की इच्छा व्यतीत करी थी. तब भगवान जगन्नाथ और बलभद्र उन्हें रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण के लिए निकले और रास्ते में अपनी मौसी गुंडिचा के मंदिर में कुछ दिन के लिए रुके. तभी से इसी घटना की याद में हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है. तीनों रथ गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं और सात दिनों तक वहीं विश्राम करते हैं. हर साल आयोजित होने वाली इस रथ यात्रा में शामिल होने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.

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