Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) को शराब की बोतलों पर कैंसर की चेतावनी वाले लेबल लगाने के निर्देश देने की मांग की गई है.
(Petition filed in Bombay High Court demanding cancer warning on liquor bottles news in hindi)
सामाजिक कार्यकर्ता यश चिलवार द्वारा दायर याचिका के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शराब को क्लास-1 कार्सिनोजेन (कैंसर पैदा करने में सक्षम पदार्थ) घोषित किया है, लेकिन इस तथ्य का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया जाता है.
याचिका के अनुसार, शराब का सेवन कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों को न्यौता देता है, लेकिन भारत में अल्कोहल उत्पादों के पैकेजिंग और लेबलिंग पर इसके स्वास्थ्य जोखिमों को स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया जाता. याचिकाकर्ता का तर्क है कि नशीले पदार्थों की बिक्री करने वाली कंपनियों को उपभोक्ताओं को इसके दुष्प्रभावों के बारे में बताना कानूनी कर्तव्य है. साथ ही, यह उपभोक्ता के ‘सूचना के अधिकार’ का भी मुद्दा है.
याचिकाकर्ता ने कहा, “जब कोई उपभोक्ता कोई उत्पाद खरीदता है, तो यह उसका अधिकार है कि वह उसमें मौजूद सामग्री और जानकारी के बारे में पूरी तरह से अवगत हो।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आयरलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों में शराब के सेवन से कैंसर से जुड़ी चेतावनियां हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभी तक इस याचिका पर सुनवाई की तारीख तय नहीं की है. हालांकि, इस मामले ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ी बहस को फिर से गर्मा दिया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह याचिका मंजूर होती है, तो भारत में शराब की खपत कम करने और कैंसर के मामलों में कमी लाने में मदद मिल सकती है.
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