इसी दिन उनके कार्यकाल में हटा था आर्टिकल-370 –
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की प्रक्रिया को संभाला था, का मंगलवार को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. आरएमएल (RML) अस्पताल में दोपहर 1:12 बजे अंतिम सांस ली. 11 मई को उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था. वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे.
चार अलग-अलग राज्यों में रहे राज्यपाल-
चार अलग-अलग राज्यों में राज्यपाल के रूप में कार्य करने वाले एक अनुभवी राजनेता मलिक ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक, 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के दौरान राज्य के शीर्ष संवैधानिक पद पर कार्य किया, जिसने क्षेत्र के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया. वे जम्मू-कश्मीर, बिहार, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे. 2018 में ओडिशा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला.
सत्यपाल 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे. इनके ही कार्यकाल के दौरान ही आज ही के दिन 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया गया था.
मलिक ने लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप-
सत्यपाल मलिक ने 17 अक्टूबर 2021 को राजस्थान के झुंझुनूं में कहा था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते करोड़ों की रिश्वत ऑफर हुई थी. उनके पास दो फाइलें आई थीं. इनमें एक बड़े उद्योगपति और दूसरी महबूबा मुफ्ती और भाजपा की गठबंधन सरकार में मंत्री रहे एक व्यक्ति की थी.
मलिक ने कहा था कि उनके सचिवों ने बताया कि इसमें घोटाला है, इसके बाद उन्होंने दोनों डील रद्द कर दी थीं. उन्हें दोनों फाइलों के लिए 150-150 करोड़ रुपए देने का ऑफर दिया गया था.
CBI ने दो अलग-अलग मामलों में दर्ज की थी FIR-
पहली FIR लगभग 60 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट को जारी करने में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है. यह रकम 2017-18 में जम्मू-कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना का ठेका देने के लिए एक इंश्योरेंस कंपनी से रिश्वत के तौर पर ली गई थी.
दूसरी FIR 2019 में एक निजी फर्म को कीरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (एचईपी) के सिविल वर्क के लिए 2,200 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट देने में भ्रष्टाचार से जुड़ी है. CBI इन दोनों मामलों की जांच कर रही है.
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