New Delhi: हिंडनबर्ग केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SEBI की जांच नियमों के तहत हुई है. बता दें कि SEBI ने अभी तक 22 आरोपों की जांच की है जबकि अभी 2 आरोपों की जांच बाकी है. मामले की सुनवाई के दौरान CJI ने कहा है कि बाकी बचे 2 मामलों की जांच तीन महीने के अंदर पूरी की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि OCCPR की रिपोर्ट के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता. SC ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए वित्तीय क्षेत्र में नियामक तंत्र को मजबूत करने, सुधार करने और यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट के पास जांच को SEBI आदि को स्थानांतरित करने की शक्ति है, लेकिन ऐसी शक्तियों का उपयोग केवल संयमित रूप से किया जा सकता है. यह अदालत आमतौर पर इस भूमिका को प्रतिस्थापित नहीं करेगी और याचिकाकर्ताओं को यह दिखाने के लिए मजबूत सबूत पेश करने होंगे कि जांच एजेंसी ने पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया है. SC ने भारत सरकार और SEBI को भारतीय निवेशकों के हित को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर काम करने को कहा है.
क्या है मामला?
हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और अदाणी ग्रुप के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट में 4 जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. इन PILs में अदाणी ग्रुप के खिलाफ तरह-तरह की जांच के आदेश देने की अपील की गई थी. इन याचिकाओं को सुनने के बाद ही 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मार्केट रेगुलेटर SEBI को आदेश दिया था कि वो अदाणी ग्रुप के डिस्क्लोजर और शेयरों के भाव में हेरफेर की जांच करे. कोर्ट ने साफ कहा था कि SEBI ये जांच करे कि अदाणी ग्रुप ने मौजूदा नियमों का उल्लंघन किया है कि नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को रिपोर्ट सौंपने के लिए दो महीने का वक्त दिया. बीते साल अप्रैल में SEBI ने कोर्ट से जांच पूरी करने में 6 महीने का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने उसे सिर्फ 14 अगस्त तक का वक्त दिया. सेबी ने 14 अगस्त को फिर जांच पूरी करने के लिए 15 दिन का वक्त मांगा. SEBI ने 25 अगस्त को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि उसने 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है, 2 मामलों में जांच विदेशी संस्थाओं से हो रही देरी के चलते पूरी नहीं हो पाई है.