Kedarnath Yatra 2025: केदारनाथ धाम तक पहुंचना आसान; 16 किमी से घटकर 5 किमी होगी पैदल दूरी, मंदिर तक जाने के 2 रास्ते

Kedarnath Yatra 2025: केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय केदारनाथ तक 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बना रहा है, जिससे केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने…

Kedarnath Yatra 2025: केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय केदारनाथ तक 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बना रहा है, जिससे केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हो जाएंगे. यह सुरंग हर मौसम में मंदिर तक सीधी पहुंच प्रदान करेगी. वर्तमान में गौरीकुंड से केदारनाथ तक का पैदल मार्ग 16 किलोमीटर लंबा है, जो रामबाड़ा और लिंचोली से होकर गुजरता है. सुरंग के निर्माण के बाद, यह दूरी घटकर केवल 5 किलोमीटर रह जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिलेगी.

वर्ष 2022 में भी पीएमओ ने जिला प्रशासन से केदारनाथ तक सड़क मार्ग का विकल्प मांगा था, लेकिन फिर इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पाई. गौरीकुंड से केदारनाथ धाम जाने के लिए वर्तमान में 16 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है, लेकिन सुरंग बनने के बाद यह दूरी महज पांच किमी रह जाएगी. यह हिस्सा भूस्खलन व भूधंसाव की दृष्टि से सुरक्षित है.

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने केदारनाथ धाम को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए रूपरेखा तैयार की है. एनएच के अधिशासी अभियंता ओंकार पांडे ने बताया कि इसके तहत मंत्रालय ने चौमासी से लिनचोली तक प्रारंभिक सर्वेक्षण कराने के साथ इसकी ड्राइंग भी तैयार करा ली है.

अब मंत्रालयों के अधिकारियों की टीम इसे अंतिम रूप दे रही है. बीते वर्ष सितंबर में पांच सदस्यीय टीम ने चौमासी-खाम बुग्याल-केदारनाथ मार्ग का जमीनी सर्वेक्षण किया था. तब टीम ने कहा था कि इस पूरे मार्ग पर कहीं भी भूस्खलन जोन नहीं हैं.

भविष्य का रूट
अभी ट्रैक 16 किलोमीटर का है. गौरीकुंड से रामबाड़ा 9 किलोमीटर, रामबाड़ा से लिंचोली 2 किलोमीटर और लिंचोली से केदार मंदिर 5 किलोमीटर दूर है.

रुद्रप्रयाग गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुंड से चुन्नी बैंड होते हुए कालीमठ, कोटमा और फिर चौमासी पहुंचते हैं. कुंड से चौमासी 41 किलोमीटर दूर है.
चौमासी से 7 किलोमीटर लंबी टनल लिंचोली पहुंचाएगी। फिर लिंचोली से 5 किलोमीटर दूर मंदिर.

ध्‍वस्‍त हो गया था केदारनाथ पैदल मार्ग
विदित हो कि 16-17 जून 2013 की केदारनाथ त्रासदी में गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच पैदल मार्ग का पांच किमी हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त हो गया था. इसी के चलते रामबाड़ा से दायीं ओर की पहाड़ी पर लिनचोली होते हुए धाम तक नया पैदल मार्ग बनाना पड़ा. लेकिन, 31 जुलाई 2024 की अतिवृष्टि में यह मार्ग भी भूस्खलन के चलते लगभग 20 दिन अवरुद्ध रहा.

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